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प्रेरणादायक कहानियां

पुराण में एक बहुत सुंदर कथा आती है | एक जंगल में एक तालाब था | उस जंगल के पशु उसी तालाब में पानी पीने आया करते थे | एक दिन एक शिकारी उस तालाब के पास आया | उसने तालाब में हाथ-मुंह धो कर पानी पिया शिकारी बहुत थका था | और कई दिन का भूखा था | उसने सोचा – ” जंगल के पशु इस तालाब के पास पानी पीने अवश्य आएंगे | यहां मुझे सरलता से शिकार मिल जाएगा |” तालाब के पास एक बेल के पेड़ पर चढ़कर वह बैठ गया |

एक हिरणी थोड़ी देर में तालाब में पानी पीने आयी | शिकारी ने हिरण को मारने के लिए धनुष पर बाण चढ़ाया | हिरनी ने शिकारी को बाण चढ़ाते हुए देख लिया वह बोली – ” भाई शिकारी! मैं जानती हूं | कि अब मैं भाग कर तुम्हारे बाण से बच नहीं सकती; किंतु तुम मुझ पर दया करो | मेरे दो छोटे-छोटे बच्चे मेरा रास्ता देखते होंगे | तुम मुझे थोड़ी देर की छुट्टी दे दो मैं तुम्हें वचन देती हूं | कि अपने बच्चों को दूध पिला कर और उन्हें अपनी सहेली हिरनी को सौंपकर तुम्हारे पास लौट आऊंगी |”


शिकारी हंसा उसे यह विश्वास नहीं हुआ, कि यह हिरणी प्राण देने फिर उसके पास वापस लौटेगी | लेकिन उसने सोचा – ” जब यह इस प्रकार कहती है | तो इसे छोड़ देना चाहिए | मेरे भाग्य में होगा तो मुझे दूसरा शिकार मिल जाएगा |” उसने हिरनी को चले जाने दिया |

थोड़ी देर में वहां बड़े सिंग वाला सुंदर काला हिरण पानी पीने आया | शिकारी ने जब उसे मारने के लिए धनुष बाण पर चढ़ाया, तो हिरण ने देख लिया और बोला – ” भाई शिकारी! अपनी हिरणी और बच्चों से अलग हुए मुझे देर हो गई है | वह सब घबरा रहे होंगे | मैं उनके पास जाकर उनसे मिल लूं और उन्हें समझा दू, तब तुम्हारे पास अवश्य आऊंगा | इस समय दया करके तुम मुझे चले जाने दो |”

शिकारी बहुत झ्लालया | उसे बहुत भूख लगी थी | लेकिन हिरण को उसने यह सोच कर चले जाने दिया, कि मेरे भाग्य में भूखा ही रहना होगा तो आज और भूखा रहूंगा |

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